बैराग शब्द उतना ही प्राचीन है जितनी यह सृस्टि है | बैराग कोई धर्म जाति सम्प्रदाय या मत नहीं और न ही किसी समुदाय या जाति को बैराग कहा जाता है | बैराग मन की श्रेस्ट अवस्था है जब इंसान अपने आप को अन्दर से समझता है और ब्रहमण्ड के बारे में ज्ञान प्राप्त करता है | और अपने व इस ब्रमाण्ड के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है और अपने व इस ब्रहमण्ड के रिश्ते को पहचानता है बैराग का अर्थ अपने आप में से स्वम को ढूंढ़ना | बैराग मन का आनंद है बैराग आत्मा की परमात्मा में लीन होने की लालसा है बैराग का अर्थ दुनिया से विरक्त होकर जंगलो में पलायन करना नहीं बैराग का अर्थ तो दुनिया में रहकर अपने अंदर अंतरात्मा को ढूढ़ना है, बैराग का अर्थ त्याग है, आत्मा परमात्मा के प्रति बैराग की इस स्थति में इन्सान तीनो शक्तियों से दूर उस एक शक्ति को पहचानने में समर्थ हो जाता है जिस में यह तीनो विलीन होती है बैरागी लोग वह है जो बैरग की धरणी है, एक बैरागी होने का अर्थ यह नहीं है की वह समाज को त्याग दे और जंगलो में रहने लगे | बैरागी लोग सारी सृश्टि को एक जोत परम पिता परमात्मा का रूप मानते है| वह ऊच नीच छूत छात से परे है| बैरागी सम्प्रदाय के संस्थापक स्वामी रामानंद जी कहते है की समाज में ऊच -नीच नहीं है व प्रत्येक इन्सान उस आत्मा का अंश है वह कहते थे की सामाजिक उची जाति के कर्म कण्डी व्यक्ति से एक साधारण व्यक्ति श्रेस्ठ है , जो सभी में परममता को देखता है और ईष्वर को याद करता है वह कहते थे की जो व्यक्ति ईष्वर की शरण में आ जाता है उसके वर्ण आश्रम के बंधन टूट जाते है | बैरागी धारणा को मानते हुए ही स्वामी रामानंद जी ने बैरागी सम्प्रदाय की नीव रखी , जो उनको वैषणव मत के कर्मकांडी गुरु भाइयो से हुई आध्यामिक लड़ाई में से पैदा हुई है इसी धारणा को मानते हुए ही स्वामी रामानंद जी उस समय माने जाते अछूत और पिछड़े लोगो को नाम दान दिया जो परम भगत हुए और इनमे से प्रमुख भगत श्री रविदास जी , भगत कबीर जी , भगत धन्ना जाट ,भगत सदबढ़ जी , भगत साधना जी , और भगत पीपा जी आदि है जिनकी वाण गुरु ग्रन्थ साहब में दर्ज है |
बाबा रविन्द्र नन्दी (अहमदगढ़)
सर्व धर्मो का धर्म : वैषणव धर्म
100 ब्राहांण = 1 बैरागी
लोग भ्रमित है वास्तव में हम क्या है वैरागी है या ब्राहांण है !
एक शलोक है : -
नाम वैराग्य दंश विप्राण ,कम वैराग्य श्तोनी च: !
ज्ञान वैराग्य ममो दोही , त्याग वैराग्य मम दुर्लभ: !
अथार्त : - श्री कृष्ण भगवान कहते है की जो नाम से वैरागी है वह दस ब्राह्मणो के बराबर है जो क्रम से बैरागी है वह 100 ब्राह्मणो के बराबर है और जो ज्ञान से बैरागी है वह मेरे अर्थात कृष्ण के सामान है, अतः जो त्यागी होते हुए बैरागी है वह मुझ से भी महान है
जनहित में जारी
1. वैष्णव समाज को एकजुट करना तथा आर्थिक व शैक्षिक रूप से कमजोर और पिछड़े लोगों की सहायता करना ।
2. ग़रीब, अनाथ और विकलांग व्यक्तियों के हितों की रक्षा करना ।
3. सामाजिक कुरीतियों जैसे दहेज प्रथा, बाल विवाह, नारी उत्पीड़न, बाल श्रम, भ्रूण हत्या तथा अन्य सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध संघर्ष करना और उन्हें मिटाना ।
4. क्षेत्रवाद को मिटाना और देश के सभी वैष्णव भाईयों व अन्य भाईयों को सामाजिक दृष्टि से समान अवसर प्रदान करवाना ।
5. आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को शैक्षिक सहायता प्रदान कारना ।
6. समाज में कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध जन जागृति पैदा करना ।
7. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की कन्या का सुयोग्य वर से विवाह संपन्न करना ।
8. देश के चहुमुखी विकास के लिए समाज के मेधावी क्षात्र-क्षात्रओं को प्रोत्साहित करने का सकारात्मक प्रयास करना तथा वर्ष में एक बार अवश्य ही पुरस्कृत करना ।
9. मानव समाज के लिए आवश्यक सुविधाओं जैसे बिजली, पानी, सड़क इत्यादि की प्राप्ति के लिए संघर्ष करना ।
10. वायुमंडल को प्रदूषण से बचाने के लिए वृक्षारोपण एवम आवश्यक कार्यकलाप करना ।
11 . मानव समाज के चौमुखी विकास के लिए जगह-जगह पुस्तकालय, पार्क, सरकारी डिसपेनस्री, महिलाओं के लिए सिलाई व कढ़ाई केंद्र की
व्यवस्था करने की दिशा में सकारात्मक प्रयास एवं असंगठित क्षेत्र की महिलाओं को सुनिस्चित रोज़गार प्रदान करना ।
मै विनोद वैष्णव , पुत्र श्री राजपाल वैष्णव, मित्रोल निवासी बल्लबगढ़ जिला फरीदाबाद हरियाणा से हूँ । मेरी योग्यता एम बी ए है और मुझे वैष्णव समाज के लिए कार्ये करने की प्रेरणा अपने पिता जी से मिली । क्योंकि वह सारे काम छोड़ कर समजा के लिए कार्ये करते हैं । मैने सोचा कि कैसे पुरे भारतवर्ष के अपने वैष्णव समजा के भाई व बहनो को जोड़ा जाए । हमारे आदरणीय समाज के बंधू भाई समाज को बढाने में लगे है, लेकिन आधुनिक सेवा न लेने के कारण हम दूर-दूर के भाई बहनो से जुड नही पाते । इसलिए मैंने एक वेबसाइट बनाई जिसमे कि पूरी दुनिया मे कोई भी कही भी हमसे जुड़ सके । वेबसाइट बनाने के कारण बहुत लोगो ने मुझसे सम्पर्क किया और मुझे खुशी हुई की जो मैंने वैष्णव समाज के लिए कार्य की शरुवात की उसका मुझे और वैष्णव समाज को काफी फायदा हुआ । दुर-दुर से अनेको वैष्णव समाज के संगठनो ने सम्पर्क किया और हम एक दूसरे से जुड़े । विशेषकर मैं युवा वैष्णव भाइयो और बहनो का धन्यवाद करना चाहूंगा की वो मेरे से लगातार सम्पर्क में रहते हैं । आज मुझे आप लोगो से बताते हुए बड़ी खुशी हो रही है की आज हमसे यानि वैष्णव ब्राह्मण बैरागी फैमिली से लगभग 8000 भाई बहन जुड़े हैं जिनका हमारे पास रिकार्ड के लिए पूरा विवरण हे ।